मुझको पता नहीं कुछ, अनजान की तरह.
दे सीख आत्मसम्मान और प्यार की
रहना मुझे सिखा दिया, इंसान की तरह.
खुद भूखे पेट सोई, तृप्त मेरी भूख की
सब कुछ लूटा दिया, भगवान् की तरह.
जब किसी ने दर्द तनिक सा मुझे दिया
तुम लड़ गई उसी दम, तलवार की तरह.
थे अच्छे कर्म हमने किये पिछले जन्म में
मिल गई मुझे तुम उपहार की तरह.
कैसे मैं तुझको छोड़ दूं, गंम्भीर भंवर में
पार मैं लगाऊंगा, मल्लाह की तरह.
मां दर्द, कष्ट, ताने कितने सही हो मेरे लिए
बसती हो मेरे दिल में तुम भगवन की तरह.
कैसे चुकाऊ ऋण मैं तेरे लाड, प्यार का
हैं तेरे कष्ट मुझपे आभार की तरह.
रस्ता मुझे आता है नज़र मात्र एक बस
दूँ तुझको प्यार और सम्मान, राम की तरह.