मुझको पता नहीं कुछ, अनजान की तरह.
दे सीख आत्मसम्मान और प्यार की
रहना मुझे सिखा दिया, इंसान की तरह.
खुद भूखे पेट सोई, तृप्त मेरी भूख की
सब कुछ लूटा दिया, भगवान् की तरह.
जब किसी ने दर्द तनिक सा मुझे दिया
तुम लड़ गई उसी दम, तलवार की तरह.
थे अच्छे कर्म हमने किये पिछले जन्म में
मिल गई मुझे तुम उपहार की तरह.
कैसे मैं तुझको छोड़ दूं, गंम्भीर भंवर में
पार मैं लगाऊंगा, मल्लाह की तरह.
मां दर्द, कष्ट, ताने कितने सही हो मेरे लिए
बसती हो मेरे दिल में तुम भगवन की तरह.
कैसे चुकाऊ ऋण मैं तेरे लाड, प्यार का
हैं तेरे कष्ट मुझपे आभार की तरह.
रस्ता मुझे आता है नज़र मात्र एक बस
दूँ तुझको प्यार और सम्मान, राम की तरह.
माँ को समर्पित बेहतरीन पंक्तियाँ ..... बहुत सुंदर .....
ReplyDeleteसुन्दर भावों को दर्शाती एक सुन्दर पोस्ट|
ReplyDeleteप्यार से बड़ा कोई नहीं ....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपके लिए !
माँ का कोई मोल नहीं .......सुंदर पंक्तियाँ ...
ReplyDeletemaa bhagwaan se badi hoti hai,,,
ReplyDeletejai hind jai bharat
vatsaly ka sunder varnan.......
ReplyDeleteMa sachmuch mamtamayi hoti hai.
ReplyDeleteसुन्दर उद्गार!
ReplyDeleteथे अच्छे कर्म हमने किये पिछले जन्म में
ReplyDeleteमिल गई मुझे तुम उपहार की तरह.
कैसे मैं तुझको छोड़ दूं, गंम्भीर भंवर में
पार मैं लगाऊंगा, मल्लाह की तरह.
मां दर्द, कष्ट, ताने कितने सही हो मेरे लिए
बसती हो मेरे दिल में तुम भगवन की तरह.
कैसे चुकाऊ ऋण मैं तेरे लाड, प्यार का
हैं तेरे कष्ट मुझपे आभार की तरह.
maa to maa hoti hai ....hridaysparshi prastuti.
bahut sundar. mere blog "santam sukhaya" par bhi visit kare aur apna comments likhe. dhanywaad
ReplyDeleteप्रभावशाली प्रस्तुति
ReplyDeletemaa ko samrpit bahut hi umda rachna.....
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