Tuesday 11 October 2011

प्यारी मां

रखा था जब कदम, इस मातृभूमि  पर
मुझको पता नहीं कुछ, अनजान की तरह.

दे सीख आत्मसम्मान और प्यार की
रहना मुझे सिखा दिया, इंसान की तरह.

खुद भूखे पेट सोई, तृप्त मेरी भूख की
सब कुछ लूटा दिया, भगवान् की तरह.

जब किसी ने दर्द तनिक सा मुझे दिया
तुम लड़ गई उसी दम, तलवार की तरह.

थे अच्छे कर्म हमने किये पिछले जन्म में
मिल गई मुझे तुम उपहार की तरह.

कैसे मैं तुझको छोड़ दूं, गंम्भीर भंवर में
पार मैं लगाऊंगा, मल्लाह की तरह.

मां दर्द, कष्ट, ताने कितने सही हो मेरे लिए
बसती हो मेरे दिल में तुम भगवन की तरह.

कैसे चुकाऊ ऋण मैं तेरे लाड, प्यार का 
हैं तेरे कष्ट मुझपे आभार की तरह.

रस्ता मुझे आता है नज़र मात्र एक बस 
दूँ तुझको प्यार और सम्मान, राम की तरह. 

12 comments:

  1. माँ को समर्पित बेहतरीन पंक्तियाँ ..... बहुत सुंदर .....

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  2. सुन्दर भावों को दर्शाती एक सुन्दर पोस्ट|

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  3. प्यार से बड़ा कोई नहीं ....
    शुभकामनायें आपके लिए !

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  4. माँ का कोई मोल नहीं .......सुंदर पंक्तियाँ ...

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  5. maa bhagwaan se badi hoti hai,,,
    jai hind jai bharat

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  6. थे अच्छे कर्म हमने किये पिछले जन्म में
    मिल गई मुझे तुम उपहार की तरह.

    कैसे मैं तुझको छोड़ दूं, गंम्भीर भंवर में
    पार मैं लगाऊंगा, मल्लाह की तरह.

    मां दर्द, कष्ट, ताने कितने सही हो मेरे लिए
    बसती हो मेरे दिल में तुम भगवन की तरह.

    कैसे चुकाऊ ऋण मैं तेरे लाड, प्यार का
    हैं तेरे कष्ट मुझपे आभार की तरह.

    maa to maa hoti hai ....hridaysparshi prastuti.

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  7. bahut sundar. mere blog "santam sukhaya" par bhi visit kare aur apna comments likhe. dhanywaad

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  8. प्रभावशाली प्रस्तुति

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  9. maa ko samrpit bahut hi umda rachna.....

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