Thursday 25 August 2011

तबाही

तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती
धमाकों की कभी आहट नहीं होती
बेगुनाहों, मासूमों की यूँ जान न जाती
अगर मज़हब के नाम पर ये दुनिया बांटी नहीं जाती.

सड़क पर खून से लथपथ पड़ी लाशें नहीं होतीं
दुखों से भरी तनहा रातें नहीं होतीं
न खोता कोई अपनी आँख का तारा
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .

मन में द्वेष, रंजिश की भावना नहीं होती
न लोग बंटते और न ये जातियां होती
भाईचारे के दीप जलते हर घर की चौखट पे
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .

दुनिया आज दुखों से आहात नहीं होती
मासूमों की जिंदगी बेसहारा नहीं होती 
खुशी से झूमते और प्यार से रहते हम सभी
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .


23 comments:

  1. सही कहा है आज की चाहत ही तबाही हो गयी है.बेहद उम्दा ...अच्छी लगी.

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  2. गजब की रचना -बधाई।

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  3. bilkul sach kaha hai ek ek shabd....

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  4. अच्छी कविता लिखते हैं आप. आपके ब्लॉग का नाम भी अच्छा है... वर्तमान कविता आपके सोच को परिभाषित कर रही है.... शुभकामनाएं

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  5. आज कुछ अलग ही रंग देखने मिला

    आभार

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  6. प्रिय अंकित पाण्डेय जी हार्दिक अभिवादन

    सुन्दर विचारणीय सार्थक रचना आप की सुन्दर सन्देश काश ये भावना लोग आत्मसात करे ...
    आइये हम सब कलम के सिपाही अपनी लेखनी को और धार दें और देश सेवा में जोश बढ़ाएं
    शुक्ल भ्रमर ५
    खुशी से झूमते और प्यार से रहते हम सभी
    तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .

    प्रिय अंकित पाण्डेय जी हार्दिक अभिवादन और अभिन्दन आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण में
    आइये हम सब कलम के सिपाही अपनी लेखनी को और धार दें और देश सेवा में जोश बढ़ाएं
    शुक्ल भ्रमर ५

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  7. very nice .........keep it up.

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  8. सड़क पर खून से लथपथ पड़ी लाशें नहीं होतीं
    दुखों से भरी तनहा रातें नहीं होतीं
    न खोता कोई अपनी आँख का तारा
    तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .....बहुत सुन्दर ...अंकित जी!!
    शंदेश देती हुई सुन्दर सशक्त विचारणीय सार्थक रचना ..

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  9. सुन्दर रचना, खूबसूरत प्रस्तुति .

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  10. सुन्दर , सशक्त रचना .

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  11. सामायिक प्रस्तुति.
    यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
    अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

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  12. मन में द्वेष, रंजिश की भावना नहीं होती
    न लोग बंटते और न ये जातियां होती
    भाईचारे के दीप जलते हर घर की चौखट पे
    तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .
    bahut khoob sunder bhav
    badhai
    rachana

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  13. विचारणीय प्रश्नों को आपने सामने रखा है।

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  14. सुन्दर.. सशक्त .. सार्थक .. विचारणीय रचना ..

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  15. सड़क पर खून से लथपथ पड़ी लाशें नहीं होतीं
    दुखों से भरी तनहा रातें नहीं होतीं
    न खोता कोई अपनी आँख का तारा
    तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती ...

    तबाही की चाहत भी जाने किस मानसिकता की उपज है ... बीमार होते हैं ऐसे लोग ...

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  16. अहिंषा अपनाने हीचाहिये !

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  17. सड़क पर खून से लथपथ पड़ी लाशें नहीं होतीं
    दुखों से भरी तनहा रातें नहीं होतीं
    न खोता कोई अपनी आँख का तारा
    तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती ...

    विचारणीय रचना .

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  18. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ! सच्चाई को बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  19. मन में द्वेष, रंजिश की भावना नहीं होती
    न लोग बंटते और न ये जातियां होती
    भाईचारे के दीप जलते हर घर की चौखट पे
    तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .

    bahut khoob sunder bhav se paripurn rachna, badhai

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