धमाकों की कभी आहट नहीं होती
बेगुनाहों, मासूमों की यूँ जान न जाती
अगर मज़हब के नाम पर ये दुनिया बांटी नहीं जाती.
सड़क पर खून से लथपथ पड़ी लाशें नहीं होतीं
दुखों से भरी तनहा रातें नहीं होतीं
न खोता कोई अपनी आँख का तारा
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .
मन में द्वेष, रंजिश की भावना नहीं होती
न लोग बंटते और न ये जातियां होती
भाईचारे के दीप जलते हर घर की चौखट पे
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .
दुनिया आज दुखों से आहात नहीं होती
मासूमों की जिंदगी बेसहारा नहीं होती
खुशी से झूमते और प्यार से रहते हम सभी
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .
सही कहा है आज की चाहत ही तबाही हो गयी है.बेहद उम्दा ...अच्छी लगी.
ReplyDeleteगजब की रचना -बधाई।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeletebilkul sach kaha hai ek ek shabd....
ReplyDeleteअच्छी कविता लिखते हैं आप. आपके ब्लॉग का नाम भी अच्छा है... वर्तमान कविता आपके सोच को परिभाषित कर रही है.... शुभकामनाएं
ReplyDeleteआज कुछ अलग ही रंग देखने मिला
ReplyDeleteआभार
प्रिय अंकित पाण्डेय जी हार्दिक अभिवादन
ReplyDeleteसुन्दर विचारणीय सार्थक रचना आप की सुन्दर सन्देश काश ये भावना लोग आत्मसात करे ...
आइये हम सब कलम के सिपाही अपनी लेखनी को और धार दें और देश सेवा में जोश बढ़ाएं
शुक्ल भ्रमर ५
खुशी से झूमते और प्यार से रहते हम सभी
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .
प्रिय अंकित पाण्डेय जी हार्दिक अभिवादन और अभिन्दन आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण में
आइये हम सब कलम के सिपाही अपनी लेखनी को और धार दें और देश सेवा में जोश बढ़ाएं
शुक्ल भ्रमर ५
very nice .........keep it up.
ReplyDeleteसड़क पर खून से लथपथ पड़ी लाशें नहीं होतीं
ReplyDeleteदुखों से भरी तनहा रातें नहीं होतीं
न खोता कोई अपनी आँख का तारा
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .....बहुत सुन्दर ...अंकित जी!!
शंदेश देती हुई सुन्दर सशक्त विचारणीय सार्थक रचना ..
सुन्दर रचना, खूबसूरत प्रस्तुति .
ReplyDeleteसुन्दर , सशक्त रचना .
ReplyDeleteसामायिक प्रस्तुति.
ReplyDeleteयदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
मन में द्वेष, रंजिश की भावना नहीं होती
ReplyDeleteन लोग बंटते और न ये जातियां होती
भाईचारे के दीप जलते हर घर की चौखट पे
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .
bahut khoob sunder bhav
badhai
rachana
विचारणीय प्रश्नों को आपने सामने रखा है।
ReplyDeleteसुन्दर.. सशक्त .. सार्थक .. विचारणीय रचना ..
ReplyDeleteसड़क पर खून से लथपथ पड़ी लाशें नहीं होतीं
ReplyDeleteदुखों से भरी तनहा रातें नहीं होतीं
न खोता कोई अपनी आँख का तारा
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती ...
तबाही की चाहत भी जाने किस मानसिकता की उपज है ... बीमार होते हैं ऐसे लोग ...
bhawpurn.......
ReplyDeleteअहिंषा अपनाने हीचाहिये !
ReplyDeleteसड़क पर खून से लथपथ पड़ी लाशें नहीं होतीं
ReplyDeleteदुखों से भरी तनहा रातें नहीं होतीं
न खोता कोई अपनी आँख का तारा
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती ...
विचारणीय रचना .
manviy sarokar se judi , hridaysparshi kavita.
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ! सच्चाई को बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
Bahut Sunder....
ReplyDeleteमन में द्वेष, रंजिश की भावना नहीं होती
ReplyDeleteन लोग बंटते और न ये जातियां होती
भाईचारे के दीप जलते हर घर की चौखट पे
तबाही गर किसी की चाहत नहीं होती .
bahut khoob sunder bhav se paripurn rachna, badhai